2.5 डेटा वेरिफाइ करने के स्टेप्स
सिस्टम में सही और उपयुक्त डेटा ही दर्ज हो, इसके लिए कई स्तरों पर जाँच की व्यवस्था की जा सकती है।
2.5.1. डेटा दर्ज करते समय होने वाली जाँच (इनपुट चेक्स)
एमकॉम्स एप्लीकेशन इस प्रकार के प्रतिबंध लगा सकता है कि डेटा-फील्ड में अमुक प्रकार का डेटा ही दर्ज हो। अलग-अलग अवसरों के लिए अलग-अलग प्रकार की व्यवस्था उपयुक्त रहती है। जैसे
- ड्रापडाउन लिस्ट से यह पक्का हो जाता है कि यूज़र दिए गए विकल्पों में से ही कोई विकल्प चुनेगा। जैसे प्लांट के नामों की सूची (जिससे यूज़र कोई अमान्य नाम लिख ही नहीं सकता।)
- इनपुट की वैल्यू को सीमित कर केवल कुछ निश्चित इनपुट को मान्य रखा जा सकता है। जैसे मीटर की चालू रीडिंग तभी दर्ज हो सकती है, जब वह पिछली रीडिंग से अधिक हो।
2.5.2. यूज़र रिव्यू
एमकॉम्स के सभी एप्लीकेशन में यूज़र को रिव्यू और कन्फर्म करने की सुविधा दी गई है। यानी वह अपने द्वारा दर्ज जानकारी को दुबारा देख ले (रिव्यू करे) और फिर कन्फर्म करे। तभी वह जानकारी सेंट्रल डेटाबेस पर दर्ज होगी।
2.5.3. डेटाबेस को एडिट करना
डेटाबेस की कई प्रविष्टियों (एंट्रीज़) को वेब प्लेटफॉर्म के फ्रंट एंड से सुधारा जा सकता है, बशर्ते यूज़र के पास इसके लिए एक्सेस राइट्स् हों।
2.5.4. बदलाव को दर्ज करना (चेंज लॉग्स)
एमकॉम्स के डेटाबेस को जहाँ-जहाँ भी एडिट किया जाता है, तब एडिट करने का समय भी दर्ज (लॉग) हो जाता है। इससे कोई गड़बड़ी (एक्सिडेंट) होने पर पूरा डेटा दुबारा प्राप्त (रिस्टोर) हो सकता है। साथ ही, जो सूचनाएँ संग्रहित की गई हैं, उनमें कोई किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं कर सकता।
2.5.5. अंकों के आधार पर नियंत्रण (न्यूमेरिकल चेक्स)
(न्यूमेरिकल चेक्स) रखे गए हैं, जिससे सिर्फ काम की प्रविष्टियाँ दर्ज हो सकें। जैसे उपकरणों की कार्यकुशलता 0% से 100% के बीच ही बताई जा सकती है या बिजली का रोज का उत्पादन अपेक्षित रेंज में ही दर्ज हो सकता है। इसके और सेक्शन 2.5.1. के नियंत्रण (चेक्स) कुछ-कुछ मिलते-जुलते हैं। फर्क यह है कि यहाँ डेटाबेस में की जाने वाली गिनती (केलक्युलेशन) सर्वर साइड में अनुसूचित (शेड्यूल) है जबकि सेक्शन 2.5.1. में डेटाबेस में प्रविष्टि सबमिशन के पहले नहीं हो सकती।
2.5.6. ग्राहक की ओर से पुष्टि (कस्टमर वैलिडेशन)
ग्राहक से संबंधित जानकारी में कोई परिवर्तन होने या ग्राहक के खाते में कोई अपडेट करना हो तो एमकॉम्स हर बार ग्राहक से पुष्टि (वेलिडेशन) कराता है। इसके लिए ग्राहक को उसके रजिस्टर्ड मोबाइल पर ओटीपी भेजकर परिवर्तन (चेंज) की पुष्टि मांगी जाती है।
2.5.7. क्रमिक अनुमोदन (चेन ऑफ अप्रूवल्स)
इस अध्याय में परिचालन से संबंधित जिन-जिन वर्कफ्लो की चर्चा की गई है, उनमें मिनी ग्रिड के अलग-अलग स्तर के कई कर्मचारी शामिल रहते हैं। जब-जब जिस कर्मचारी को कोई इनपुट, अनुमोदन (अप्रूवल) या कार्रवाई (एक्शन) करना हो, उसे एमकॉम्स की ओर से अपने आप सूचना चली जाती है।
जैसे ग्राहक का पैकेज बदलने के लिए सबसे पहले ग्राहक को अनुरोध करना होगा। यह अनुरोध समूह प्रभारी (क्लस्टर इन-चार्ज) के पास जाता है। वह इसे अनुमोदित (अप्रूव) कर टेक्निशन को भेजने से पहले ग्राहक सेवा एजेंट (सीएसए) के पास भेजता है, ताकि वह ग्राहक से आगे की कार्रवाई करा सके। जब टेक्निशन इसे पूरा होना बता देता है, तब सूचना समूह प्रभारी (क्लस्टर इन-चार्ज) के पास चली जाती है। उन्हें पुष्टि करनी होती है कि कार्य भली प्रकार पूरा हो गया है। इसके बाद बदलाव (चेंज) को अंतिम रूप से सेंट्रल डेटाबेस में दर्ज कर दिया जाता है, जो राज्य प्रभारी और ऊपरी प्रबंधन को उनकी मासिक रिपोर्ट में दिखाई देता है।
2.5.8. डेटा की लेखा-परीक्षा (डेटा ऑडिट)
एमकॉम्स डेटाबेस में सब कुछ ठीक है, इसकी महत्वपूर्ण जाँच है डेटा ऑडिट। फील्ड में दर्ज डेटा की कुछ रसीदों को लेकर सेंट्रल डेटाबेस की प्रविष्टियों से मिलान कर देखा जाता है कि दोनों का मिलान हो रहा है। उदाहरण के लिए प्रतिदिन पैदा हुई बिजली के आँकड़े फील्ड एजेंट एप्प में रिकॉर्ड होते हैं और प्लांट कंट्रोल रूम में रखे रजिस्टर में हाथ से भी लिखे जाते हैं। समूह प्रभारी (क्लस्टर इन-चार्ज) दोनों का मिलान कर देख सकता है कि दोनों एक समान हैं।