2.4. साइट की फाइनेंशल रिपोर्टिंग

साइट की फाइनेंशल रिपोर्टिंग में सभी प्रकार के राजस्व (रेवेन्यू) और व्ययों की जानकारी शामिल रहती है। साथ ही साइट या समूह के लेवल पर जो राशियाँ जमा हुई हों (डिपॉज़िट्स् हुए हों) उनका विवरण भी फाइनेंशल रिपोर्ट में शामिल रहता है। नकदी आने-जाने (कैश फ्लो) की ठीक-ठीक रिकॉर्डिंग कंपनी की वित्तीय स्थिति पर निगरानी रखने के लिए बहुत जरूरी होती है। कंपनी के हर स्तर के कर्मचारी की जिम्मेदारी भी इससे तय होती है। समूह प्रभारी (क्लस्टर इन-चार्ज) और राज्य प्रभारी (स्टेट इन-चार्ज) को सलाह दी जाती है कि वे नियमित रूप से लेखा-परीक्षा (ऑडिट) कराते रहें।

2.4.1. ईंधन पर हुआ खर्च

प्लांट में ईंधन पर हुए खर्च को दर्ज करना और प्रतिपूर्ति (रिइंबर्समेंट) के लिए अनुमोदित करना अनिवार्य है। यह फील्ड एजेंट एप्लीकेशन के जरिए किया जा सकता है। इससे ईंधन के उचित उपयोग की निगरानी होती है और ईंधन चोरी अपने आप पकड़ में आती है।

आमतौर पर ईँधन ऐसे स्टेशन (पेट्रोल पंप) से खरीदा जाता है, जिसके साथ कंपनी का मजबूत रिश्ता हो। ईंधन खरीदने के बाद फील्ड एजेंट रसीद की इमेज और अन्य सूचनाएँ, जैसे ईंधन खरीदते समय जनरेटर के मीटर की रीडिंग अपलोड कर देता है। इस प्रकार अपलोड किए गए खर्च की जाँच और सत्यापन (वेरिफिकेशन) होने के बाद प्रधान कार्यालय ईंधन पर हुए खर्च की प्रतिपूर्ति (रिइंबर्समेंट) ईंधन के लिए भुगतान करने वाले एजेंट को कर देता है।

2.4.2. अन्य व्यय

अन्य व्ययों में हर महीने होने वाले निश्चित खर्च और समय-समय पर होने वाले अन्य खर्च आते हैं। निश्चित खर्च के उदाहरण हैं - लीज़ पर ली गई जमीन का किराया और कर्मचारियों का वेतन। अनिश्चित खर्च में रख-रखाव की लागत शामिल है। नियमित रूप से भेजी जाने वाली (रूटीन) वित्तीय रिपोर्टें बनाने के लिए ये जानकारियाँ एमकॉम्स में दर्ज करनी पड़ती हैं।

2.4.3. नकदी प्रवाह (कैश फ्लो)

ग्राहकों से प्राप्त नकदी बैंक में कंपनी के खाते में जमा करानी ही होती है। जैसे ही कोई ग्राहक राशि जमा करता है, अपने आप पता चल जाता है कि कुल कितनी राशि जमा हुई है। बैंक में जमा की गई नकदी का विवरण फील्ड एजेंट दर्ज करते हैं। प्रधान कार्यालय उन्हें सत्यापित (वेरिफाइ) कर अनुमोदित (अप्रूव) करता है। बाकी बची हुई राशि को प्लांट में रखी हुई नकदी माना जाता है।

फील्ड एजेंट बैंक में राशि कब-कब जमा करे और कितनी राशि कैश-इन-हैंड के रूप में अपने पास रखे, इस बारे में हर कंपनी की अलग-अलग गाइडलाइन्स हो सकती है। एमकॉम्स में इस प्रकार की व्यवस्था की जा सकती है कि एजेंटों को निश्चित समय पर सूचना चली जाए।